1) भाद्रपद माह:-
कृष्ण पक्ष - a) तृतीया - इसे बड़ी तीज, बूढ़ी तीज, सातुड़ी तीज, कजली तीज आदि नामो से जाना जाता है। सुहाग की दीर्घायु ओर मंगलकामना हेतु व्रत।  सँध्या में नीम की पूजा। बूंदी की सवारी प्रसिद्ध।
               b) षष्टी - ऊब  छठ , हल छठ , बलराम जयन्ती, चन्दन षष्टी व्रत भी कहते है।
हल की पूजा की जाती है । सूर्यास्त से चन्द्रोदय तक खड़ा रहा जाता है व व्रत रखा जाता है।
               c)अष्टमी - जन्माष्टमी - श्री कृष्ण का जन्मदिन । इनसे सम्बन्धित झांकियां निकली जाती है।
               d) नवमी - गोगानवमी - लोक देवता गोगाजी जी की पूजा । ददरेवा चूरू और गोगामेड़ी हनुमानगढ़ में मेला। किसान हल को राखी बांधते हैं।
              e) द्वादशी- बछबारस- पुत्रवती स्त्रीयाँ पुत्र की मंगलकामना हेतु व्रत । गेहू, जौ और गाय के दूध से बनी वस्तुओं का प्रयोग नहीं , अंकुरित चने , मूंग , मोठ युक्त भोजन किया जाता है। गाय और बछड़े की पूजा।
              f) अमावस्या - सती अमावस्या - झुंझुनूं में रानी सती का मेला।
शुक्ल पक्ष:- a) द्वितिया- बाबे री बीज - रामदेव जयंती । द्वितिया से एकादशी तक रामदेवरा जैसलमेर में मेला भरता है जिसे मारवाड़ का कुंभ कहते है।
                b) तृतीया - हरतालिका तीज - गौरी शंकर का पूजन। तेरह प्रकार के मीठे व्यंजन बनाये जाते है ।
                c) चतुर्थी - गणेश चतुर्थी, शिवा चतुर्थी, चतरा चौथ, कलंक चतुर्थी आदि कहा जाता है। गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाते है। त्रिनेत्र गणेश मेला रणथम्भौर, चूंधी तीर्थ मेला जैसलमेर।
                d) पंचमी - ऋषि पंचमी - सप्त ऋषि की पूजा, गंगा स्नान । माहेश्वरी समाज की राखी इसी  दिन मनाई जाती है। भोजन थाली मेला कांमा भरतपुर में भरता है।
                e) अष्टमी - राधा अष्टमी सलेमाबाद में निम्बार्क सम्प्रदाय का मेला भरता है ।
                f) दशमी - तेजादशमी - परबतसर में पशु मेला। खेजड़ली व्रक्ष मेला ।
               g) एकादशी - जलझुलनी एकादशी, देव झुलनी एकादशी
               h) चतुर्दशी - अनन्त चतुर्दशी- गणेश विसर्जन भी किया जाता है।
               I) पूर्णिमा - श्राद्ध पक्ष।

2) अश्विन माह :-
 कृष्ण पक्ष :- a) श्राद्ध पक्ष - एकम से अमावस्या तक । मत्स्येंद्रनाथ मन्दिर उदयपुर में सांझी की पूजा । अंतिम दिन अमावस्या को थंबुड़ा व्रत किया जाता है।
शुक्ल पक्ष :- a) एकम - शरद नवरात्र प्रारंभ । वसन्तीय नवरात्र आरम्भ भी कहलाते है।
                  b) अष्टमी - दुर्गाष्टमी/ होमाष्टमी । दुर्गा देवी की पूजा की जाती है।
                  e) दशमी - दशहरा । खेजड़ी व्रक्ष की पूजा । हथियारों की पुजा । इस दिन लीलटांस पक्षी के दर्शन शुभ। कोटा और मैसूर का दशहरा प्रसिद्ध। रावण का दहन।
                  f) पूर्णिमा - शरद पूर्णिमा / रास पूर्णिमा । इस दिन चन्द्रमा अपनी 16 कलाओ से पूर्ण होता है।

3) कार्तिक माह :-
कृष्ण पक्ष :- a) चतुर्थी - करवा चौथ - पति की दीर्घायु हेतु व्रत।
                 b) अष्टमी - अहोई अष्टमी - पुत्रवती स्त्रीयाँ निर्जल व्रत रखती है।
                c) एकादशी - तुलसी एकादशी - तुलसी की पूजा की जाती है।
                d) त्रयोदशी - धनतेरस - ऋषि धन्वंतरि की पूजा। यमराज का पूजन। नई वस्तुओं की खरीद।
                e) चतुर्दशी - रूप चौदस / छोटी दिवाली - स्वच्छता और सौंदर्य से सम्बंधित ।
                f) अमावस्या - दीवाली - भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास पूरा कर घर लौटे । लक्ष्मी की पूजा । महर्षि दयानंद और महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस। वैश्यों द्वारा नए बही खाते की शुरुआत।
शुक्ल पक्ष - a) प्रतिपदा - गोवर्धन पूजा - नाथद्वारा में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। गाय के गोबर से बने गोवर्धन की पूजा ।
               b) द्वितिया - भैया दूज - यम द्वितीया भी कहते है
               c) अष्टमी - गोपाष्टमी - गाय और उसके बछड़े की पूजा ।
               e) नवमी - आँवला नवमी / अक्षय नवमी
               f) एकादशी - देव उतनी ग्यारस / प्रबोधिनी - भगवान विष्णु चार माह बाद निंद्रा अवस्था से जागते है । मांगलिक कार्यो का आरम्भ
               g) पूर्णिमा - सत्यनारायण पूर्णिमा - पुष्कर अजमेर, कोलायत बीकानेर, चंद्रभागा झालरापाटन में मेला भरता है। महादेव जी के त्रिपुरासुर के वध के कारण त्रिपुरा पूर्णिमा भी कहते है ।

4) माघ माह :- मकर सक्रांति 14 जनवरी को मनाते है। सूर्य मकर राशि मे प्रवेश करता है।
कृष्ण पक्ष :- a) चतुर्थी - तील  चतुर्थी , संकट हरण चतुर्थी - चौथ का बरवाड़ा सवाई माधोपुर में मेला। गणेश जी और चौथ माता को तिल का भोग ।
                 b) अमावस्या - मौनी अमावस्या- मौन व्रत रखा जाता है। मनु का जन्मदिवस।
शुक्ल पक्ष :- a) पंचमी - बसंत पंचमी - सरस्वती जयंती। इस दिन से फ़ाग उड़ाना प्रारंभ। ब्रज में कृष्ण महोत्सव। कामदेव और रति का पूजन । राजस्थान में गार्गी पुरस्कार वितरित किया जाता है।
                  b) पूर्णिमा - बेणेश्वर मेला - नवटापरा डूंगरपुर। यह शिवलिंग 5 जगह से खण्डित। आदिवासियों का कुंभ । वागड़ का पुष्कर । होली के डंडे का रोपण किया जाता है।

5) फाल्गुन माह :-
कृष्ण पक्ष :- a) त्रयोदशी - महाशिवरात्रि - शिवाड़ सवाई माधोपुर में घुश्मेश्वर महादेव का मेला भरता है। शिव जी का जन्मदिन।
शुक्ल पक्ष :- a) द्वितिया - फुलेरा दूज।
                  b) पूर्णिमा - होली । ब्यावर में होली पर बादशाह की सवारी निकली जाती हैं। भिनाय में कोड़ामार होली। महावीर जी लठ्ठमार होली होली। बाड़मेर में पत्थर मार होली और इलो जी की सवारी निकली जाती है। जयपुर में जन्म, मरण, परण का त्यौहार मनाया जाता है।