(1) लोहार्गल :- झुंझुनूं के मलयकेतु पर्वत की शंखाकार घाटी में। यहाँ की चौबीस कोसी परिक्रमा प्रसिद्ध जो गोगा नवमी से भाद्रपद अमावस्या तक । यहाँ बरखण्डी शिखर और सूर्य कुंड।

(2) राणी सती का मंदिर :- झुंझुनूं। इनका नाम नारायणी था।

(3) अधर शिला रामदेव :- जलोरियो का बास जोधपुर।

(4) सम्बोधि धाम :- कायलाना झील के पास जोधपुर। जैनों का तीर्थ स्थान।

(5)सच्चिया माता :- ओसिया जोधपुर। यहाँ महिष मर्दिनी की सजीव प्रतिमा। यह ओसवालों की कुल देवी। मन्दिर गुर्जर प्रतिहार नरेश वत्सराज व उनके वंशजो ने बनवाया गुर्जर महामारू शैली में निर्मित।

(6) महामंदिर :- जोधपुर । नाथ सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थ। 84 खम्भों पर निर्मित भव्य मंदिर।

(7) कैला देवी :- त्रिकूट पर्वत की घाटी में कालीसील नदी के किनारे करौली । यदुवंशियों की कुल देवी । मन्दिर के सामने बोहरा भक्त की छतरी । भक्ति में लंगुरिया गीत गाये जाते है। यहाँ लक्खी मेला लगता है।

(8) मदनमोहन मन्दिर :- करौली । यहाँ की मूर्ति ब्रजभूमि व्रन्दावन से मुस्लिम आक्रांताओ से बचा कर लाई गयी । करौली नरेश गोपाल सिंह जी इसको जयपुर से लाये ओर 1748 में मन्दिर बनवाया। माधवी गौड़ीय सम्प्रदाय का मंदिर।

(9) श्री महावीर जी :- हिंडौन उपखण्ड में गम्भीर नदी के किनारे करौली । यह मंदिर लाल पत्थर और संगमरमर से चतुष्कोण आकार में बना है। चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को चार दिवसीय मेला भरता है । मेले में वैशाख कृष्ण प्रतिपदा पर निकलने वाली जिनेन्द्र रथ यात्रा है जो मन्दिर से गम्भीर नदी के तट तक जाती है। इस यात्रा में क्षेत्रीय उपखण्ड अधिकारी रथ का सारथी बनता है।

(10) अंजनी माता का मंदिर :- करौली। यहाँ अंजनी माता की हुनमान जी को स्तनपान करती हुए प्रतिमा है जो सम्पूर्ण भारत मे अपने आप मे एक है।

(11) मथुराधीश मन्दिर :- पटनपोल कोटा। वल्लभाचार्य सम्प्रदाय के प्रथम महाप्रभु की पीठिका है। इसके निर्माता शिवगण है।

(12) कंसुआ का शिव मंदिर :- कोटा। कण्व ऋषि का आश्रम। यहा सहस्त्र शिवलिंग है। गुप्तोत्तर कालीन शिवालय ।

(13) विभीषण मंदिर :- भारत मे एक मात्र मन्दिर कैथून कोटा में है।

(14) चारचोम का शिवालय :- कोटा। गुप्तकालीन मन्दिर ।

(15) भीम चोरी :- हाड़ौती क्षेत्र में दर्रा मुकन्दरा के मध्य कोटा। राजस्थान में ज्ञात गुप्तकालीन मन्दिरों में प्राचीनतम। इसको भीम का मण्डप कहते है।

(16) बुढादित का मंदिर :- कोटा। सूर्य मंदिर । प्राचीनतम सूर्य मंदिर पंचायतन शैली में।

(17) खुटुम्बरा शिवमन्दिर :- कोटा । शिखर के मामले में उड़ीसा के मंदिरो से समानता।

(18) त्रिकाल चौबीसी मन्दिर :- आर के परम कोटा मे। तीनो कालो के 72 तीर्थंकरों की प्रतिमा । राज्य में ऐसा दूसरा और हाड़ौती में पहला । ऐसा मन्दिर उदयपुर में भी है जिसे त्रिकाल चौबीसी कहते है।

(19)गेपरनाथ :- कोटा। कोटा रावतभाटा मार्ग पर।

(20) बाँसथूंणी का शिवालय :- कोटा शाहबाद सड़क मार्ग पर गोरा जी का सारण नाले पर।

(21) चारभुजा नाथ मंदिर :- मेड़ता नागौर । निर्माण राव दूदा जी । यहाँ मीराबाई, संत तुलसीदास, रैदास आदि की आदमकद मूर्तिया ।

(22) कैवाय माता :- परबत सर के निकट किणसरिया गांव में नागौर ।

(23) दधिमती माता का मंदिर :- नागौर में जायल तहसील में गोठ और मांगलोद गांव की सीमा पर । दधीच ब्राह्मणो की कुल देवी । प्रतिहारकालीन महामारू हिन्दू मन्दिर शैली का मन्दिर।

(24) भांवल माता का मंदिर :-  नागौर। इसमे चामुंडा और महिषमर्दिनी की मूर्ति । नवरात्र की अष्टमी को मेला।

(25) बंशीधर का मंदिर :- नागौर । मुरलीधर का मंदिर भी कहते है।

(26) जगदीश मन्दिर :- उदयपुर में राजमहलों के पास जगदीश चौक में इसकी स्थापना महाराणा जगतसिंह प्रथम ने 1651 ई में वैशाख पूर्णिमा को की। यह पचास कलात्मक स्तम्भों पर बना है। निर्माण अर्जुन, सुत्रधार भाणा और मुकुंद की देखरेख में हुआ। प्रभु जग्गनाथ राय की काले रंग की मूर्ति। यह मंदिर स्वप्न शैली में बना है इसलिए सपने में बना मन्दिर कहलाता है।