भारत सरकार द्वारा 5 जुलाई 1947 को रियासती सचिवालय का गठन किया गया। इस सचिवालय के अनुसार जिस रियासत की आय 1 करोड़ से अधिक हो और जनसंख्या 10 लाख से ज्यादा वो ही स्वतंत्र रह सकती थी। राजस्थान में ऐसी 4 रियासतें थी । जोधपुर, जयपुर, उदयपुर, बीकानेर। स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत 18 जुलाई 1947 को रियासतों पर से ब्रिटिश अधिकार समाप्त हो जाने थे । राजस्थान में उस समय 19 रियासते और 3 ठिकाने और 1 केंद्र शासित प्रदेश थे।
नोट :- 3 ठिकाने :- लावा, नीमराणा, कुशलगढ़
केंद्र शासित प्रदेश :- अजमेर मेरवाड़ा
प्रथम चरण :- इसे मत्स्य संघ के नाम से जानते है। इसे भरतपुर, धौलपुर, अलवर, करौली व नीमराणा ठिकाने को मिलाकर बनाया गया था। इसका नामकरण के.एम. मुंशी ने किया। इसमे राजप्रमुख धौलपुर के राजा उदयभान सिंह को उपराजप्रमुख करोली के राजा गणेश पाल सिंह को बनाया गया था ।
इसकी राजधानी अलवर थी।
इसका उद्धाटन भरतपुर किले में 18 मार्च 1948 को केंद्रीय खनिज मंत्री एन.वी. गाडगिल द्वारा किया गया।
इसके प्रधानमंत्री अलवर के शोभाराम कुमावत को बनाया गया।
उपप्रधानमंत्री जुगलकिशोर चतुर्वेदी थे।
द्वितिय चरण :- राजस्थान संघ
इसमे 9 रियासतों ओर 1 ठिकाना कुशलगढ़ को मिलाया गया था। इन 9 रियासतों में कोटा, बूंदी, बाँसवाड़ा, शाहपुरा, किशनगढ़, झालावाड़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, टोंक थी ।
इसके राजप्रमुख कोटा के महाराजा भीमसिह ओर उपराजप्रमुख बूंदी के महाराजा बहादुरसिंह थे ।
इसकी राजधानी कोटा थी।
इसका उद्घाटन कोटा में 25 मार्च 1948 को एन.वी.गड़गिल द्वारा किया गया।
इसके प्रधानमंत्री शाहपुरा के गोकुललाल असावा को बनाया गया।
नोट :- बांसवाड़ा रावल चन्द्रविरसिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा कि " मैं अपने डेथ वॉरन्ट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ।"
शाहपुरा व किशनगढ़ दोनों को तोपो की सलामी का अधिकार नही था।
तृतीय चरण :- संयुक्त राजस्थान संघ
इसमे राजस्थान संघ के साथ मेवाड़ को मिला दिया गया था।
इसका उद्घाटन 18 अप्रेल 1948 को जवाहर लाल नेहरू ने उदयपुर में किया ।
इसकी राजधानी उदयपुर थी ।
इसके राजप्रमुख मेवाड़ राणा भूपाल सिंह थे। उपराजप्रमुख कोटा के राजा भीमसिंह थे । वरिष्ठ राजप्रमुख बूंदी के महाराजा बहादुरसिंह को तथा कनिष्ठ राजप्रमुख डूंगरपुर के राजा लक्ष्मण सिंह को बनाया गया था।
इसमे प्रधानमंत्री माणिक्य लाल वर्मा और उपप्रधानमंत्री गोकुललाल असावा को बनाया गया।
इसमे यह भी निर्णय लिया गया कि संयुक्त राजस्थान संघ का हर वर्ष कोटा में अधिवेशन बुलाया जाएगा ।
मेवाड़ के राणा भूपालसिंह को प्रिवी पर्स के रूप में 20 लाख रुपये प्रतिवर्ष दिया जाना निश्चित किया गया।
चतुर्थ चरण :- व्रहद राजस्थान
इसमे राजस्थान संघ के साथ बीकानेर, जोधपुर, जयपुर और जैसलमेर को मिलाया गया।
इसकी राजधानी सत्य नारायण राव समिति की सिफारिश पर जयपुर बनाई गई ।
इसका उद्घाटन वल्लभ भाई पटेल द्वारा 30 मार्च 1949को जयपुर में किया गया। इस दिन को राजस्थान दिवस के रूप में मनाते है।
इसमे राजप्रमुख के रूप में जयपुर के सवाई मानसिंह द्वितिय, महाराजप्रमुख के रूप में मेवाड़ के राणा भूपालसिंह व वरिष्ठ राजप्रमुख के रूप में जोधपुर के हनवंतसिंह, कोटा के भीमसिंह, बूंदी के बहादुरसिंह और डूंगरपुर के लक्ष्मण सिंह थे।
प्रधानमंत्री हीरालाल शास्त्री को बनाया गया।
जयपुर के राजा को 18 लाख रुपये, जोधपुर के राजा को 17.5 लाख रुपये, बीकानेर के राजस को 17 लाख रुपये प्रिवी पर्स दिया गया।
खनिज विभाग उदयपुर में।
उच्च न्यायालय जोधपुर में।
शिक्षा विभाग बीकानेर में।
वन और सहकारिता विभाग कोटा में।
कृषि विभाग भरतपुर में।
पंचम चरण :- संयुक्त व्रहद राजस्थान
इसमे व्रहद् राजस्थान और मत्स्य संघ को मिलाया गया। यह विलय शंकर राव देव समिति की सिफारिश पर किया गया।
उद्घाटन 15 मई 1949 को।
शोभाराम कुमावत को शास्त्री मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।
छठा चरण :- राजस्थान
इसमे संयुक्त व्रहद राजस्थान के साथ सिरोही को मिलाया गया परन्तु आबू और देलवाड़ा तहसील को छोड़ दिया गया। इनका विलय बॉम्बे में कर दिया गया परन्तु गोकुल भाई भट्ट के विरोध को देखते हुए इनके गांव हाथळ को राजस्थान में मिला दिया गया।
इसका उद्घाटन 26 जनवरी 1950 को किया गया।
हीरालाल शास्त्री को पहला मनोनीत मुख्यमंत्री बनाया गया।
सातवाँ चरण :-
फजल अली आयोग ( राज्य पुनर्गठन आयोग )के सिफारिश पर 1 नवम्बर 1956 को अजमेर मेरवाड़ा को राजस्थान में मिलाया गया और अजमेर राजस्थान का 26 वाँ जिला बन गया।
इस चरण में आबू और देलवाड़ा को भी राजस्थान में मिला दिया गया।
मध्यप्रदेश के सुनेर टप्पा को राजस्थान में व राजस्थान के सिरोंज को मध्यप्रदेश में मिलाया गया।
मोहनलाल सुखाड़िया इस समय मुख्यमंत्री थे। राजप्रमुख के पद को समाप्त कर दिया गया।
पहले राज्यपाल सरदार गुरुमुख निहालसिंह बने।
नोट :- 3 ठिकाने :- लावा, नीमराणा, कुशलगढ़
केंद्र शासित प्रदेश :- अजमेर मेरवाड़ा
प्रथम चरण :- इसे मत्स्य संघ के नाम से जानते है। इसे भरतपुर, धौलपुर, अलवर, करौली व नीमराणा ठिकाने को मिलाकर बनाया गया था। इसका नामकरण के.एम. मुंशी ने किया। इसमे राजप्रमुख धौलपुर के राजा उदयभान सिंह को उपराजप्रमुख करोली के राजा गणेश पाल सिंह को बनाया गया था ।
इसकी राजधानी अलवर थी।
इसका उद्धाटन भरतपुर किले में 18 मार्च 1948 को केंद्रीय खनिज मंत्री एन.वी. गाडगिल द्वारा किया गया।
इसके प्रधानमंत्री अलवर के शोभाराम कुमावत को बनाया गया।
उपप्रधानमंत्री जुगलकिशोर चतुर्वेदी थे।
द्वितिय चरण :- राजस्थान संघ
इसमे 9 रियासतों ओर 1 ठिकाना कुशलगढ़ को मिलाया गया था। इन 9 रियासतों में कोटा, बूंदी, बाँसवाड़ा, शाहपुरा, किशनगढ़, झालावाड़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, टोंक थी ।
इसके राजप्रमुख कोटा के महाराजा भीमसिह ओर उपराजप्रमुख बूंदी के महाराजा बहादुरसिंह थे ।
इसकी राजधानी कोटा थी।
इसका उद्घाटन कोटा में 25 मार्च 1948 को एन.वी.गड़गिल द्वारा किया गया।
इसके प्रधानमंत्री शाहपुरा के गोकुललाल असावा को बनाया गया।
नोट :- बांसवाड़ा रावल चन्द्रविरसिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा कि " मैं अपने डेथ वॉरन्ट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ।"
शाहपुरा व किशनगढ़ दोनों को तोपो की सलामी का अधिकार नही था।
तृतीय चरण :- संयुक्त राजस्थान संघ
इसमे राजस्थान संघ के साथ मेवाड़ को मिला दिया गया था।
इसका उद्घाटन 18 अप्रेल 1948 को जवाहर लाल नेहरू ने उदयपुर में किया ।
इसकी राजधानी उदयपुर थी ।
इसके राजप्रमुख मेवाड़ राणा भूपाल सिंह थे। उपराजप्रमुख कोटा के राजा भीमसिंह थे । वरिष्ठ राजप्रमुख बूंदी के महाराजा बहादुरसिंह को तथा कनिष्ठ राजप्रमुख डूंगरपुर के राजा लक्ष्मण सिंह को बनाया गया था।
इसमे प्रधानमंत्री माणिक्य लाल वर्मा और उपप्रधानमंत्री गोकुललाल असावा को बनाया गया।
इसमे यह भी निर्णय लिया गया कि संयुक्त राजस्थान संघ का हर वर्ष कोटा में अधिवेशन बुलाया जाएगा ।
मेवाड़ के राणा भूपालसिंह को प्रिवी पर्स के रूप में 20 लाख रुपये प्रतिवर्ष दिया जाना निश्चित किया गया।
चतुर्थ चरण :- व्रहद राजस्थान
इसमे राजस्थान संघ के साथ बीकानेर, जोधपुर, जयपुर और जैसलमेर को मिलाया गया।
इसकी राजधानी सत्य नारायण राव समिति की सिफारिश पर जयपुर बनाई गई ।
इसका उद्घाटन वल्लभ भाई पटेल द्वारा 30 मार्च 1949को जयपुर में किया गया। इस दिन को राजस्थान दिवस के रूप में मनाते है।
इसमे राजप्रमुख के रूप में जयपुर के सवाई मानसिंह द्वितिय, महाराजप्रमुख के रूप में मेवाड़ के राणा भूपालसिंह व वरिष्ठ राजप्रमुख के रूप में जोधपुर के हनवंतसिंह, कोटा के भीमसिंह, बूंदी के बहादुरसिंह और डूंगरपुर के लक्ष्मण सिंह थे।
प्रधानमंत्री हीरालाल शास्त्री को बनाया गया।
जयपुर के राजा को 18 लाख रुपये, जोधपुर के राजा को 17.5 लाख रुपये, बीकानेर के राजस को 17 लाख रुपये प्रिवी पर्स दिया गया।
खनिज विभाग उदयपुर में।
उच्च न्यायालय जोधपुर में।
शिक्षा विभाग बीकानेर में।
वन और सहकारिता विभाग कोटा में।
कृषि विभाग भरतपुर में।
पंचम चरण :- संयुक्त व्रहद राजस्थान
इसमे व्रहद् राजस्थान और मत्स्य संघ को मिलाया गया। यह विलय शंकर राव देव समिति की सिफारिश पर किया गया।
उद्घाटन 15 मई 1949 को।
शोभाराम कुमावत को शास्त्री मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।
छठा चरण :- राजस्थान
इसमे संयुक्त व्रहद राजस्थान के साथ सिरोही को मिलाया गया परन्तु आबू और देलवाड़ा तहसील को छोड़ दिया गया। इनका विलय बॉम्बे में कर दिया गया परन्तु गोकुल भाई भट्ट के विरोध को देखते हुए इनके गांव हाथळ को राजस्थान में मिला दिया गया।
इसका उद्घाटन 26 जनवरी 1950 को किया गया।
हीरालाल शास्त्री को पहला मनोनीत मुख्यमंत्री बनाया गया।
सातवाँ चरण :-
फजल अली आयोग ( राज्य पुनर्गठन आयोग )के सिफारिश पर 1 नवम्बर 1956 को अजमेर मेरवाड़ा को राजस्थान में मिलाया गया और अजमेर राजस्थान का 26 वाँ जिला बन गया।
इस चरण में आबू और देलवाड़ा को भी राजस्थान में मिला दिया गया।
मध्यप्रदेश के सुनेर टप्पा को राजस्थान में व राजस्थान के सिरोंज को मध्यप्रदेश में मिलाया गया।
मोहनलाल सुखाड़िया इस समय मुख्यमंत्री थे। राजप्रमुख के पद को समाप्त कर दिया गया।
पहले राज्यपाल सरदार गुरुमुख निहालसिंह बने।
1 Comments
Good and fact news.✌️✌️✌️
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