भारत के सविधान में 12 अनुसूचियो का उल्लेख है जो निम्न प्रकार है :-
अनुसूचि 1 :- इसके अंतर्गत भारत के राज्य क्षेत्र को परिभाषित किया गया है जिसमे 29 राज्य तथा 7 संधशासित प्रदेश का उल्लेख है ।

 अनुसूचि 2 :- इसके अंतर्गत सवैधानिक पदाधिकारियों को दिए जाने वाले वेतन का उल्लेख है ।
 परन्तु उपराष्ट्रपति के वेतन का उल्लेख नही है क्योंकि उसे उपराष्ट्रपति के रूप में वेतन नही मिल कर राज्यसभा के सभापति के रूप में वेतन मिलता है।

अनुसूचि 3 :- इसके अंतर्गत सवैधानिक पदाधिकारियो द्वारा ली जाने वाली शपथ के प्रारूप (ड्राफ्ट) का उल्लेख है।
परन्तु इसमे राष्ट्रपति ,उपराष्ट्रपति तथा राज्यपाल की शपथ का उल्लेख नही है । इनकी शपथ क्रमशः art 60 (राष्ट्रपति) art 69 (उपराष्ट्रपति ) art 159 ( राज्यपाल)  में है ।
       राष्ट्रपति और राज्यपाल हमेशा संविधान की रक्षा और लोगो के कल्याण की शपथ लेते है ।


अनुसूचि 4 :- इसमे राज्यसभा के निर्वाचित होने वाले स्थानो का आवंटन विभिन्न राज्यों में किया गया । यहां केवल 233 सीटों के स्थानों का  उल्लेख है । मनोनीत स्थानों का नही ।

अनुसूचि 5 :- इसके अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन का उल्लेख है ।

अनुसूचि 6 :- इसके अंतर्गत आसाम , मेघालय ,मिजोरम तथा त्रिपुरा के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन का उल्लेख है ।

 अनुसूचि 7 :- इसके अंतर्गत केन्द्र और राज्य के बीच विषयों का बंटवारा किया गया है । इसमें 3 सूचियां बनाई गयी है
जो क्रमशः केंद सूची ,राज्य सूची तथा समवर्ती सूची ।
केंद्र सूची में राष्टीय महत्व के विषय होने के कारण संसद द्वारा कानून का निर्माण , राज्य सूची में क्षेत्रीय महत्व के विषय होने के कारण राज्य विधानमण्डल द्वारा कानून का निर्माण , तथा समवर्ती सूची पर दोनों ही सरकारों द्वारा कानून का निर्माण किया जा सकता है ,परन्तु यदि दोनो सरकार द्वारा बनाया गया कानून में गतिरोध होने पर केंद्र सरकार के कानून को मान्यता दी गयी है ।
इन तीनो सूचियों का उल्लेख अनुच्छेद 246 में तथा विषय अनुसूचि 7 में है।
केंद सूची में:- 100विषय
राज्य सूची में :-61विषय
समवर्ती सूची में :- 52विषय
नोट:- संविधान निर्माण के समय केंद सूची में 97 व राज्य सूची में 66 विषय तथा समवर्ती सूची में 47 विषय थे।
42वे संविधान संशोधन 1976 द्वारा 5 विषयो को राज्य सूची से समवर्ती सूची में शामिल किया गया :- (क) शिक्षा (ख) वन (ग) नाप व तोल (घ) वन्य जीवों व पक्षियों का सरक्षण (ङ) न्याय।

अनुसूचि 8 :- इसमे विभिन्न भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है । वर्तमान में इसमे 22 भाषाओं का उल्लेख है। मूल संविधान में 14 थी। सविंधान संधोधन 21,71,92 इसी अनुसूचि से संबंधित है । 21वे(1967) में सिंधी, 71वे(1992)में कोंकणी ,मणिपुरी ओर नेपाली, 92वे(2004) मैथिली ,संथाली बोडो ओर डोगरी को जोड़ा गया था।

अनुसूचि 9:- इसके अंतर्गत उन विधियों का उल्लेख है जिन्हें न्यायालय में चुनौती नही दी जा सकती । यह अनुसूचि प्रथम संविधान संसोधन द्वारा 1951 में जोड़ी गयी थी। वर्तमान में इसमें कुल284 अधिनियम है । इसमे समान्यतया संपत्ति के अधिग्रहण के कानूनों का उल्लेख है। यह भूमि सुधार कानूनों को न्यायालय के दायरे से बाहर करने हेतु जोड़ी गयी। इस आधार पर इन कानूनों की समीक्षा नही की जा सकती थी व इनसे संपत्ति का मौलिक अधिकार बाधित हो रहा था।
नोट:- गोलकनाथ बनाम पंजाब1967 में सुप्रीम कोर्ट निर्णय दिया कि संसद मूल अधिकारों में कोई परिवर्तन नही कर सकती है ।
इसकी प्रतिक्रिया में सरकार द्वारा 24वाँ संविधान संशोधन 1970 लाया गया जिसके तहत अनुच्छेद 13 के अंतर्गत 13(4) नामक धारा जोड़ी गयी जिसमें यह प्रावधान किया गया कि संविधान संसोधन को विधि शब्द की परिभाषा से बाहर कर दिया गया।
आगे एक अन्य केस में जिसे केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य 1973 (24 अप्रैल 1973)नाम से जानते है में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि संसद संविधान में मूल अधिकारों सहित किसी भी भाग में संशोधन कर सकती लेकिन किये गए परिवर्तन से संविधान के मूल ढांचे में कोई परिवर्तन नही होना चाहिए साथ ही इस दिनांक के बाद यदि कोई नया कानून 9वी अनुसूचि में शामिल किया जाए और उसके कारण मूल ढांचा प्रभावित होता हो तो उसे भी न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी। इस दिनांक से पूर्व की 9वी अनुसूचि की विधियां प्रभावित नही होगी।

अनुसूचि 10:- इसे 52वे संविधान संशोधन1985 द्वारा जोड़ा गया था। दल बदल विरोधी कानून से संबंधित है। इस समय ये प्रावधान था कि 1/3 से कम सांसद या विधायक यदि दल बदल करते है तो उनकी सदस्यता प्रभावित नही होगी इससे कम होने पर सदस्यता समाप्त कर दी जायेगी। 2003 में पुनः इसमे 91वे संविधान संशोधन द्वारा परिवर्तन कर पर्णतः प्रतिबंधित करने के प्रयास किये गए थे साथ ही यदि एक दल का दूसरे दल में विलय हो जाता है तो ये कानून लागू नही होगा।

अनुसूचि 11:- 73वे संविधान संशोधन द्वरा 1993 में जोड़ी गयी जिसमे पंचायती राज संस्थाओं को कार्य स्वायत्तता हेतु 29 विषय प्रदान किये गए है ।

अनुसूचि 12:- 74वे संविधान संशोधन द्वारा 1993 में जोड़ी गयी जिसमे शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थानो को कार्य स्वायत्तता के लिए 18 विषय प्रदान किये गए है।