PSLV :- ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन
           इसकी क्षमता 600 से 900 km की ऊँचाई पर 1750 kg तक के सेटेलाइट को स्थापित करने की है।
 यह 4 चरणों वाला रॉकेट है जिससे
     प्रथम चरण सॉलिड रॉकेट मोटर होता है जिसमे ईंधन के रूप में HTPB का प्रयोग ।
     द्वतीय चरण में लिक्विड रॉकेट इंजन तथा फ्यूल के रूप में UDMH +N2O4 का प्रयोग किया जाता है।
     तृतीय चरण में सॉलिड रॉकेट मोटर जिसमे ईंधन के रूप में HTPB का प्रयोग किया जाता है।
     चौथे चरण में पेलोड से नीचे दो इंजन प्युल MMH+MON का प्रयोग किया जाता है।   
         इसका व्यास 2.8 होता है।
 उपयोग:- चन्द्रयान1,मंगल कक्षीय मिषन, अंतरिक्ष केप्सूल रिकवरी एक्सपेरिमेंट , IRNSS इत्यादि।


GSLV:- भुतुल्य कालिक उपग्रह प्रक्षेपण प्रणाली
 इनकी क्षमता उपग्रह कैब250×36000km तक कि ऊँचाई तक स्थापित करना।
इनका प्रयोग मूलतः इनसेट श्रेणी के उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए किया जाता है।
ये उपग्रह जियो सिन्क्रोनस श्रेणी के जिसमें सेटेलाइट अपने ऑर्बिट में एक फ़िक्स स्थान पर घूमता रहता हैं।
 3 चरणों मे विभाजित:-
    प्रथम चरण :-ठोस रॉकेट मोटर जिसमे फ्यूल HTPB
    द्वितीय चरण:-पृथ्वी संग्रहणीय तरल जिसमे फ्यूल UDMH+N2O4
    तृतीय चरण:- क्रायोजेनिक इंजन (CE7.5 भारत का पहला क्रायोजेनिक इंजन है जिसका इसमे प्रयोग )
  इस उपग्रह का प्रयोग मुख्य रूप से कम्युनिकेशन सेटेलाइट लॉन्च करने के लिए ।
GSLV के दो वर्जन है :-
1 MK-2 =2500kg वजन के सेटेलाइट को जीयो सिन्क्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में ले जाने में सक्षम ।
2 MK-3 = 4000kg वजन के सेटेलाइट को GTO में ले जाने में सक्षम।