विचारकों द्वारा इसे कई नाम दिए गए है :-
1) आनन्द कुमार स्वामी - राजपूती चित्र शैली (अपनी किताब - राजपूत पेंटिंग )
2) ब्राउन - राजपूत कला
3) एच सी मेहता - हिन्दू शैली
4) रामकृष्ण दास - राजस्थानी चित्रकला
       इत्यादि।
प्रमुख प्राचीन चित्रित ग्रन्थ :- जैसलमेर के जिनभद्र सूरी भंडार में औध नियुक्ति व्रति, दस वैकालिक सूत्र चूर्णि।
राजस्थानी चित्रकला शैली की जन्म भूमि मेवाड़ (मेदपाट)को मानते है। यँहा के प्रारम्भिक चित्र 1260 ई के ताडपत्र पर चित्रित व रचित प्रथम ग्रन्थ श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णि जो कि आहड़ में मेवाड़ शासक तेज सिंह के समय का है। अन्य में मोकल के समय का 1423 ई का देलवाड़ा में चित्रित सुपासनाह चरियम व 1426 ई का कल्पसूत्र, निशीथ चूर्णि, नेमिनाथ चरित्र आदि है।

राजस्थानी चित्र शैली की विशेषताएं :-
1) विभिन्न विषयों का चित्रांकन
2) भाव प्रवणता की अधिकता
3) सामान्य लोक जीवन का चित्रण
4) विभिन्न रंगों का प्रयोग व सामंजस्य
5) देश काल की अनुरूपता
6) प्रकृति परिवेश के चित्रण
7) राजदरबारों व राजा महाराजाओं का चित्रण
8) प्रेम व श्रंगार रस से परिपूर्ण
9) महीन रेखाओं के प्रयोग
10) आकृतियों का विन्यास
11) मोर का चित्रण इत्यादि।

राजस्थान की चित्रकला को चार भागों में बांटा गया है।
(1) मेवाड़ शैली :-
इसको 4 उपभागों में बांटा गया है
 a) उदयपुर शैली
 b) नाथद्वारा शैली
 c) देवगढ़ शैली
 b) चावण्ड शैली

(2) मारवाड़ शैली :-
इसको 6 उपभागों में बांटा गया है
a)जोधपुर शैली
b)बीकानेर शैली
c)किशनगढ़ शैली
d)जैसलमेर शैली
e)अजमेर शैली
f)नागौर शैली

(3) ढूंढाड़ शैली
इसको 3 उपभागों में बांटा गया है
a) आमेर शैली
b) जयपुर शैली
c) अलवर शैली
d) उणियारा शैली

(4) हाडौती शैली
इसको 2 उपभागों में बांटा गया है
a) बूंदी शैली
b) कोटा शैली

     हाडौती शैली :-

बूंदी शैली :- यह हाडौती शैली का प्रारम्भिक स्वरूप है।
1) विकास राव सुरजन हाड़ा के समय शुरू।
2) महाराव शत्रुशाल के समय रंगमहल का निर्माण व रसराज पर चित्रण की शुरुआत।
3) महाराव उम्मेदसिंह के समय रसिक प्रिया का अधूरा सेट बनाया गया।
4) प्रसिद्ध चित्रकार :- लच्छीराम , रघुनाथ, अहमद अली, गोविंदराज, डालू, नूर मोहम्मद, सुरजन आदि।
5) हरे रंग की प्रधानता व रंग योजना लोकरंगो पर आधारित। चित्र लाल हिंगुल के चमकदार हाशिये सहित बाहर व अन्दर सुवर्ण रेखाओं से सजे।
6) चित्रो में रसराज पर आधारित चित्र, तीज त्यौहार, सामंती परिवेश के चित्रण, शिकार, घुड़दौड़ व हाथियों की लड़ाई, व्यक्ति चित्र इत्यादि।
7) पुरुषों में आकृतियां लम्बी, शरीर पतले, बड़ी मूछे, घुटनो तक पारदर्शक जामे, पैरों में पाजामा, ललाट गोलाकार, अधर स्त्रियों जैसे अरुणिमा युक्त, कमर में दुपट्टा।
8) स्त्रियों मे आंखे आम्र पत्र या कमल पत्र के समान, शरीर तन्वंगी , नासिक छोटी और चिबुक पीछे की ओर झुकी, मुख गोल, गर्दन छोटी, बांहे लंबी, वक्ष आगे की ओर, पारदर्शी कपड़े।
9) पशु पक्षियों का चित्रण अधिक जिसमें मोर, हाथी, हिरन सर्वाधिक।
10) रेखाओं का सर्वाधिक चित्रण।
11) भित्ति चित्रण बहुलता से।
12) ईरानी, मराठी, मेवाड़ी शैली से प्रभावित।
13) प्रकृति का सतरंगी चित्रण।
14) स्थापत्य का सुव्यवस्थित चित्रण।
15) केले व खजूर के पेड़, सरोवर का चित्रण।
16) लाल, पीली व सुनहरी आदल।
विभिन्न चित्रो में :- राग रागिनी के चित्र, राग दीपक, रागिनी खंभावती, रागिनी भैरवी, रागिनी मालश्री, राग पंचम आदि।


कोटा शैली :-
1) इसकी स्वतन्त्र शैली का विकास राव रामसिंह के काल में बूंदी व मुगल शैली के समन्वय से ।
2) महाराव भीमसिंह के समय बल्लभ सम्प्रदाय के प्रभाव से कृष्ण चरित्र लीलाओ का चित्रण।
3) महाराव शत्रुशाल के समय कन्हैया ब्राह्मण के द्वारा नन्दगाँव में भागवत के लघु सचित्र ग्रन्थ का निर्माण।
4) महाराव उम्मेदसिंह के समय झाला झालिमसिंह ने झाला हवेली में नयनाभिराम भीति चित्रण करवाया जिसमे शिकार के चित्र महत्वपूर्ण। इनके समय के अन्य ग्रन्थों में बल्लभोत्सव चन्द्रिका, गीता पंचमेल आदि। सर्वाधिक चित्रण इन्हीं के समय।
5) प्रमुख चित्रकार डालू, लच्छीराम, रघुनाथ, गोविंदराम, कन्हैया ब्राह्मण, नूर मोहम्मद आदि।
6) मुख्यतः शिकार, दरबार, बहरामास, राग रंगीनी, हाथियों की लड़ाई, युद्ध दर्शन आदि का चित्रण।
7) प्रमुख ग्रन्थों में 1768 का डालू राम का रागमाला सैट जो कोटा कलम का सबसे बड़ा रागमाला सैट है। अन्य में भागवत पुराण, ढोला मारू आदि ।
8) स्त्री आकृतियों में गोल चेहरा, पैनी अधर, छोटी गर्दन, लम्बी नाक, मृग नयन, पतली कटी, उन्नत होठ, कद अपेक्षाकृत छोटा और मोटा, कपोल खिले हुए।
9) पुरुष आकृति में भारी व गठीला शरीर, दीप्ति युक्त चेहरा, उन्नत भौहें, बड़ी दाढ़ी और मूँछे, तलवार व कटार से युक्त वेषभूषा।
10) हल्के हरे , पीले व नीले रंग का प्रयोग।
11) भित्ति चित्रण प्रमुखता से।
12) नारियों व रानियों को शिकार खेलते दिखाया गया है।
13) बड़ी बड़ी वसलियों पर शिकार का सामुहिक चित्रण।
14) चम्पा , सिंह , मोर व उमड़ते बादलों का चित्रण।